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भारत का इतिहास

भारत का इतिहास पाषाण युग- 70000 से 3300 ई.पू मेहरगढ़ संस्कृति 7000-3300 ई.पू सिन्धु घाटी सभ्यता- 3300-1700 ई.पू हड़प्पा संस्कृति 1700-1300 ई.पू वैदिक काल- 1500–500 ई.पू प्राचीन भारत - 1200 ई.पू–240 ई. महाजनपद 700–300 ई.पू मगध साम्राज्य 545–320 ई.पू सातवाहन साम्राज्य 230 ई.पू-199 ई. मौर्य साम्राज्य 321–184 ई.पू शुंग साम्राज्य 184–123 ई.पू शक साम्राज्य 123 ई.पू–200 ई. कुषाण साम्राज्य 60–240 ई. पूर्व मध्यकालीन भारत- 240 ई.पू– 800 ई. चोल साम्राज्य 250 ई.पू- 1070 ई. गुप्त साम्राज्य 280–550 ई. पाल साम्राज्य 750–1174 ई. प्रतिहार साम्राज्य 830–963 ई. राजपूत काल 900–1162 ई. मध्यकालीन भारत-  500 ई.– 1761 ई. दिल्ली सल्तनत ग़ुलाम वंश ख़िलजी वंश तुग़लक़ वंश सैय्यद वंश लोदी वंश मुग़ल साम्राज्य 1206–1526 ई. 1206-1290 ई. 1290-1320 ई. 1320-1414 ई. 1414-1451 ई. 1451-1526 ई. 1526–1857 ई. दक्कन सल्तनत बहमनी वंश निज़ामशाही वंश 1490–1596 ई. 1358-1518 ई. 1490-1565 ई. दक्षिणी साम्राज्य राष्ट्रकूट वंश होयसल साम्राज्य ककातिया साम्राज्य विजयनगर स...
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प्रागैतिहासिक काल

प्रागैतिहासिक काल जिस काल में मनुष्य ने घटनाओं का कोई लिखित विवरण उद्धत नहीं किया उसे प्रागैतिहासिक काल कहते हैं मानव विकास के उस काल का इतिहास कहा जाता है जिसका विवरण लिखित रूप में उपलब्ध है। 'आद्य ऐतिहासिक काल' उस काल को कहते हैं जिस काल में लेखन कला के प्रचलन के बाद उपलब्ध लेख पढ़े नहीं जा सके हैं। ज्ञानी मानव (होमोसपियंस) का प्रवेश इस धरती पर आज से लगभग 30 या 40000 वर्ष पूर्व हुआ। पूर्व पाषाण युग के मानव की जीवन का मुख्य आधार था- शिकार। कृषि का आविष्कार नवपाषाण काल में हुआ। भारत का सबसे प्राचीन नगर मोहनजोदड़ो था सिंधी भाषा में जिसका अर्थ है मृतकों का टीला।

पुरातत्व संबंधी साक्ष्य से मिलने वाली जानकारी

पुरातत्व संबंधी साक्ष्य से मिलने वाली जानकारी 1400 ई०पू० के अभिलेख 'बोगाजकोई' (एशिया माइनर) सिर्फ वैदिक देवता- मित्र, वरुण, इंद्र और नासत्य (अश्वनी कुमार) के नाम मिलते हैं। मध्य भारत में भागवत धर्म शिक्षित होने का प्रमाण भवन राजपूत 'होलियोडोरस' के वेसनगर (विदिशा) गरुड़ स्तंभ लेख से प्राप्त होता है। प्राचीनतम सिक्को को आहत सिक्के कहा जाता है इसी को साहित्य में काषार्पण कहा गया है। सर्वप्रथम शिक्षकों पर लेख लिखने का कार्य यवन शासकों ने किया। समुद्रगुप्त की वीणा बजाते हुई मुद्रा वाले सिक्के से उसके संगीतप्रेमी होने का प्रमाण मिलता है। अरिकमेडु (पुदुच्चेरी के निकट) से रोमन सिक्के प्राप्त हुए।

धर्म ग्रंथ एवं ऐतिहासिक ग्रंथ से मिलनेवाली महत्वपूर्ण जानकारियां

प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में जानकारी मुख्यता 4 स्रोतों से प्राप्त होती है- 1. धर्म ग्रंथ 2.  ऐतिहासिक ग्रंथ 3. विदेशियों का विवरण 4. पुरातत्व संबंधी साक्ष्य धर्म ग्रंथ एवं ऐतिहासिक ग्रंथ से मिलनेवाली महत्वपूर्ण जानकारियां- भारत का सर्व प्राचीन धर्म ग्रंथ वेद है जिसके संकलनकर्ता महर्षि कृष्ण  द्वैपायन वेदव्यास है। सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद एवं सबसे बाद का वेद अथर्ववेद है। ऋग्वेद में मंडलों की संख्या 10 है देवता सोम का उल्लेख ऋग्वेद के 9 वें मंडल में है। ऋग्वेद में शुक्र एवं श्लोकों की संख्या क्रमशा 1028 एवं 10462 है। वेद के श्लोकों को रचनाएं कहा जाता है। गद्य एवं पद्य वाला वेद यजुर्वेद है। भारतीय संगीत का जनक सामवेद। रोग निवारण, तंत्र मंत्र, जादू टोना, शाप, वशीकरण, विवाह, प्रेम, राजकर्म, मातृभूमि आदि विविध विषयों से संबंधित वेद है- अथर्ववेद। भारतीय ऐतिहासिक कथाओं का सबसे अच्छा विवरण मिलता है- पुराणों में। पुराणों की संख्या 18 है। सबसे प्राचीन एवं प्रमाणित पुराण है- मत्स्यपुराण। मौर्य वंश से संबंधित पुराण है- विष्ण...

विदेशी यात्रियों से मिलने वाली प्रमुख जानकारी

क) यूनानी- रोमन लेखक टेसियस- यह ईरान का राजवैध था। हेरोडोटस- इसे इतिहास का पिता कहा जाता है। इस ने अपनी पुस्तक हिस्टोरिका में पांचवी शताब्दी ईसापूर्व के भारत-फारस के संबंध का वर्णन किया है। सिकंदर के साथ आने वाले लेखक- आनेसिक्रटस, निर्याकस, तथा आसि्टोबुलस। मेगास्थनीज- यह सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था, जो चंद्रगुप्त मौर्य के राज दरबार में आया था। इस ने अपनी पुस्तक इंडिका में मौर्य युगीन समाज एवं संस्कृति के विषय में लिखा है। डायमेकस- यह सीरियन नरेश आंटियोकस का का राजदूत था, जो बिंदुसार के राजदरबार में आया था। इसका विवरण भी मौर्य युग से संबंधित है। डायोनिसियस- यह मिश्र नरेश टालिमी फिलाडेल्फस का राजदूत था, जो अशोक के राज दरबार में आया था। टालमी- इसमें दूसरी शताब्दी में भारत का भूगोल नामक पुस्तक लिखी। प्लिनी- किसने प्रथम शताब्दी में 'नेचुरल हिस्ट्री' नामक पुस्तक लिखी। ख) चीनी लेखक फाहियान-  यह चंद्रगुप्तत द्वितीय केे दरबार मैं आया था। संयुगन- इसने अपने 3 वर्षों की यात्रा में बौद्ध धर्म की प्राप्तियां एकत्रित किया। हुएनसांग- या हर्षवर्धन के शासनकाल में आया था। ...

वैदिक सभ्यता एवं सिंधु सभ्यता

वैदिक सभ्यता वैदिक काल का विभाजन दो भागों में किया जाता है-  ऋग्वैदिक काल जो कि 1500 से 1000 ईशा पूर्व और उत्तर वैदिक काल जो कि 1000 से 600 ईसा पूर्व में किया गया है। आर्य सर्वप्रथम पंजाब एवं अफगानिस्तान में बसे। आर्यों द्वारा निर्मित सभ्यता वैदिक सभ्यता कहलायी। आर्यों की भाषा संस्कृत थी। आर्यों का मुख्य पेय पदार्थ सोमरस था यह वनस्पति से बनाया जाता था। आर्यों का समाज पितृ प्रधान था। ऋग्वेद में उल्लेखित सभी नदियों में सरस्वती सबसे महत्वपूर्ण तथा पवित्र मानी जाती थी। उत्तर वैदिक काल में इंद्र के स्थान पर प्रजापति सार्वधिक प्रिय देवता हो गए थे। 'सत्यमेव जयते' मुंडकोपनिषद से लिया गया है। उपनिषद में यज्ञ की तुलना टूटी नाव से की गई है। गायत्री मंत्र सविता नामक देवता को संबोधित है, जिसका संबंध ऋग्वेद से है। उत्तर वैदिक काल में कौशांबी नगर में प्रथम बार पक्की ईंटों का प्रयोग किया गया है। महाकाव्य दो है- महाभारत एवं रामायण। महाभारत का पुराना नाम जयसंहिता है। यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है। सिंधु सभ्यता सिंधु सभ्यता की खोज रायबहादुर दयाराम साहनी ने की। सिंधु स...

जैन धर्म

जैन धर्म जैन धर्म के संस्थापक एवं प्रथम तीर्थकर थे- ऋषभदेव। जैन धर्म के 23 वे तीर्थकर थे- पार्शवनाथ। पार्शवनाथ काशी के इक्ष्वाकु वंशीय राजा अश्वसेन के पुत्र थे। महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें एवं अंतिम तीर्थकर हुए। महावीर का जन्म 540 ईसापूर्व में कुंडग्राम (वैशाली) में हुआ था। महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था। महावीर ने अपना उपदेश प्राकृत (अर्धमागधी) भाषा में दिया। महावीर के प्रथम अनुयायी उनके दामाद जमील बने। महावीर ने अपने शिष्यों को एक 11 गणधरों में विभाजित किया था। पहली जनसभा पाटलिपुत्र में 322 ईसापूर्व में भद्रबाहु और संभूति विजय के नेतृत्व में हुई। इस सभा के बाद जैन धर्म में दो भागों विभाजित हो गया, श्वेताम्बर एवं दिगंबर। श्वेतांबर- जो सफेद कपड़े पहनते हैं एवं दिगंबर- जो एकदम नग्नावस्था में रहते हैं। जैन धर्म के त्रिरत्न है- सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक आचरण। खजुराहो में जैन मंदिरों का निर्माण चंदेल शासकों द्वारा किया गया। मौर्योत्तर युग में मथुरा जैन धर्म का प्रसिद्ध केंद्र था। जैन तीर्थ करो की जीवनी भद्रबाहु द्वारा रचित कल्पसूत्र में वर्णित है। मथुरा कला...