चंदेल वंश
- प्रतिहार साम्राज्य के पतन के बाद बुंदेलखंड की भूमि पर चंदेल वंश का स्वतंत्र राजनीतिक इतिहास प्रारंभ हुआ।
- बुंदेलखंड का प्राचीन नाम जेजाकभुक्ति है।
- चंदेल वंश का संस्थापक नन्नुक था।(831ई०)
- इसकी राजधानी खजुराहो थी प्रारंभ में इसकी राजधानी (कलिंजर) महोबा थी।
- चंदेल वंश का प्रथम स्वतंत्र एवं सबसे प्रतापी राजा यशोवर्मन था।
- यशोवर्मन ने कन्नौज पर आक्रमण कर प्रतिहार राजा देवपाल को हराया तथा उससे एक विष्णु की प्रतिमा प्राप्त कि, जिससे उसने खजुराहो के विष्णु मंदिर में स्थापित की।
- धंग ने जिन्नात विश्वनाथ एवं वैद्यनाथ मंदिर का निर्माण करवाया।
- चंदेल शासक विद्याधर ने कन्नौज के प्रतिहार शासक राज्यपाल की हत्या कर दी क्योंकि उसने महमूद ग़ज़नवी के आक्रमण का सामना किए बिना ही आत्मसमर्पण कर दिया था।
- विद्याधर ही अकेला ऐसा भारतीय नरेश था जिसने महमूद गजनी की महत्वकांक्षाओं का सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया।
- चंदेल शासक कीर्ति वर्मन की राज्यसभा में रहने वाले कृष्ण मिश्र ने प्रबोध चंद्रोदय की रचना की थी।
- कीर्ति वर्मन ने महोबा के समीप कीर्ति सागर नामक जलाशय का निर्माण किया।
- आल्हा- उदल नामक दो सेनानायक परमवर्दिदेव के दरबार में रहते थे जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध करते हुए अपनी जान गंवाई थी।
- चंदेल वंश का अंतिम शासक परमवर्दिदेव ने 1202 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक की अधीनता स्वीकार कर ली । इस पर उसके मंत्री अजय देव ने उसकी हत्या कर दी।