Skip to main content

गुप्त साम्राज्य

गुप्त साम्राज्य

    श्रीगुप्त
  1. गुप्त साम्राज्य का उदय तीसरी शताब्दी के अंत में प्रयाग के निकट कौशांबी में हुआ।
  2. गुप्त वंश का संस्थापक श्रीगुप्त था। (240-320ई०)
  3. श्री गुप्त का उत्तराधिकारी घटोत्कच (280 से 320 ई०) हुआ।
  4. गुप्त काल में उज्जैन सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था।
  5. गुप्त राजाओं ने सर्वाधिक स्वर्ण मुद्राएं जारी की इनकी स्वर्ण मुद्राओं का अभिलेखों में दिनार कहा गया है इसी कारण से गुप्त काल को स्वर्ण युग कहा जाता है।
  6. मंदिर बनाने की कला का जन्म गुप्त काल में ही हुआ।
   
   चंद्रगुप्त प्रथम 
  1. गुप्त वंश का प्रथम महान सम्राट चंद्रगुप्त प्रथम था, यह 320 ई० में गद्दी पर बैठा। इसने लिच्छवी राजकुमारी कुमार देवी से विवाह किया । इसने 'महाराजाधिराज' की उपाधि धारण की।
  2. गुप्त संवत 319 से 320 ईसवी की शुरुआत चंद्रगुप्त प्रथम ने की।
  3. चंद्रगुप्त प्रथम का उत्तराधिकारी समुद्रगुप्त हुआ जो 335 ईसवी में राजगद्दी पर बैठा।
  
   समुद्रगुप्त
  1. समुद्रगुप्त का दरबारी कवि हरिसिंह था जिसने इलाहाबाद प्रशस्ति लेख की रचना की है।
  2. समुद्रगुप्त विष्णु का उपासक था। इसने अश्वमेधकर्ता की उपाधि धारण की।
  3. समुद्रगुप्त संगीत प्रेमी था ऐसा अनुमान उसके सिक्कों पर उसे वीणा वादन करते हुए दिखाया जाने से लगाया जाता है।
  4. इसे भारत का नेपोलियन कहा जाता है।
  5. समुद्रगुप्त ने विक्रमंक की उपाधि धारण की थी इसे कविराज भी कहा जाता था।
  6. समुद्रगुप्त का उत्तराधिकारी चंद्रगुप्त द्वितीय हुआ जो 380 ईसवी में राजगद्दी पर बैठा।

  चंद्रगुप्त द्वितीय
  1. चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में चीनी बहुत यात्री फाहियान भारत आया।
  2. शकों पर विजय के उपलक्ष्य में चंद्रगुप्त द्वितीय ने चांदी के सिक्के चलाएं। तथा एक नया संवत विक्रम संवत के नाम से प्रारंभ हुआ उसी समय से विक्रमादित्य एक लोकप्रिय उपाधि बन गई जिसकी संख्या भारतीय इतिहास में 14 तक पहुंच गई गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय सबसे अधिक विख्यात विक्रमादित्य था।
  3. चंद्रगुप्त द्वितीय का उत्तराधिकारी कुमारगुप्त प्रथम या गोविंद गुप्त हुआ (415 ईसवी से 454 ईसवी तक)।
  4. चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में संस्कृत भाषा का सबसे प्रसिद्ध कवि कालिदास थे।
  5. चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में रहने वाले कुछ प्रमुख विद्वान थे- कालिदास, आर्यभट्ट धन्वंतरि, ब्रह्मगुप्त।
  6. आर्यभट्ट ने आर्यभट्टीयम एवं सूर्यसिद्धांत नामक ग्रंथ लिखे। इसी ने सर्वप्रथम बताया कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है।

कुमारगुप्त प्रथम

  1. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना कुमार गुप्ता ने की थी।
  2. कुमारगुप्त प्रथम का उत्तराधिकारी स्कंधगुप्त जो 455 से 467 ईसवी तक हुआ।

स्कंधगुप्त

  1. स्कंधगुप्त ने गिरनार पर्वत पर स्थित सुदर्शन झील का पुनरुद्धार किया।
  2. स्कंद गुप्त के शासनकाल में ही हूणों का आक्रमण शुरू हो गया।
  3. अंतिम गुप्त शासक भानु गुप्ता था।

Popular posts from this blog

धर्म ग्रंथ एवं ऐतिहासिक ग्रंथ से मिलनेवाली महत्वपूर्ण जानकारियां

प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में जानकारी मुख्यता 4 स्रोतों से प्राप्त होती है- 1. धर्म ग्रंथ 2.  ऐतिहासिक ग्रंथ 3. विदेशियों का विवरण 4. पुरातत्व संबंधी साक्ष्य धर्म ग्रंथ एवं ऐतिहासिक ग्रंथ से मिलनेवाली महत्वपूर्ण जानकारियां- भारत का सर्व प्राचीन धर्म ग्रंथ वेद है जिसके संकलनकर्ता महर्षि कृष्ण  द्वैपायन वेदव्यास है। सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद एवं सबसे बाद का वेद अथर्ववेद है। ऋग्वेद में मंडलों की संख्या 10 है देवता सोम का उल्लेख ऋग्वेद के 9 वें मंडल में है। ऋग्वेद में शुक्र एवं श्लोकों की संख्या क्रमशा 1028 एवं 10462 है। वेद के श्लोकों को रचनाएं कहा जाता है। गद्य एवं पद्य वाला वेद यजुर्वेद है। भारतीय संगीत का जनक सामवेद। रोग निवारण, तंत्र मंत्र, जादू टोना, शाप, वशीकरण, विवाह, प्रेम, राजकर्म, मातृभूमि आदि विविध विषयों से संबंधित वेद है- अथर्ववेद। भारतीय ऐतिहासिक कथाओं का सबसे अच्छा विवरण मिलता है- पुराणों में। पुराणों की संख्या 18 है। सबसे प्राचीन एवं प्रमाणित पुराण है- मत्स्यपुराण। मौर्य वंश से संबंधित पुराण है- विष्ण...

कश्मीर के राजवंश

कश्मीर के राजवंश कश्मीर पर शासन करने वाले शासक वंश काल क्रम में इस प्रकार थे- कार्कोट वंश>उत्पल वंश>लोहार वंश। सातवीं शताब्दी में दुर्लभ वर्धन नामक व्यक्ति ने कश्मीर में कार्कोट वंश की स्थापना की थी। प्रतापपुर नगर की स्थापना दुर्लभक ने की थी। कार्कोट वंश का सबसे शक्तिशाली राजा ललितादत्य मुक्तापीड था। कश्मीर का मार्तंड मंदिर का निर्माण ललितादित्य के द्वारा करवाया गया था। कार्कोट वंश के बाद कश्मीर पर उत्पल वंश का शासन हुआ इस वंश का संस्थापक अवंति वर्मन था। अवंतीपुर नामक नगर की स्थापना अवंति वर्मन ने की थी। उत्पल वंश के बाद कश्मीर पर लोहार वंश का शासन हुआ। लोहार वंश का संस्थापक संग्राम राज था। लोहार वंश का शासक हर्ष- विद्वान, कवि तथा कई भाषाओं का ज्ञाता था। कल्हण हर्ष का आश्रित कवि था। जयसिंह, लोहार वंश का अंतिम शासक था जिसने 1128 ईस्वी से 1155 ईस्वी तक शासन किया। जय सिंह के शासन के साथ ही कल्हण की राजतरंगिणी का विवरण समाप्त हो जाता है। राजतरंगिणी - भारत की पहली इतिहास की पुस्तक है।

विदेशी यात्रियों से मिलने वाली प्रमुख जानकारी

क) यूनानी- रोमन लेखक टेसियस- यह ईरान का राजवैध था। हेरोडोटस- इसे इतिहास का पिता कहा जाता है। इस ने अपनी पुस्तक हिस्टोरिका में पांचवी शताब्दी ईसापूर्व के भारत-फारस के संबंध का वर्णन किया है। सिकंदर के साथ आने वाले लेखक- आनेसिक्रटस, निर्याकस, तथा आसि्टोबुलस। मेगास्थनीज- यह सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था, जो चंद्रगुप्त मौर्य के राज दरबार में आया था। इस ने अपनी पुस्तक इंडिका में मौर्य युगीन समाज एवं संस्कृति के विषय में लिखा है। डायमेकस- यह सीरियन नरेश आंटियोकस का का राजदूत था, जो बिंदुसार के राजदरबार में आया था। इसका विवरण भी मौर्य युग से संबंधित है। डायोनिसियस- यह मिश्र नरेश टालिमी फिलाडेल्फस का राजदूत था, जो अशोक के राज दरबार में आया था। टालमी- इसमें दूसरी शताब्दी में भारत का भूगोल नामक पुस्तक लिखी। प्लिनी- किसने प्रथम शताब्दी में 'नेचुरल हिस्ट्री' नामक पुस्तक लिखी। ख) चीनी लेखक फाहियान-  यह चंद्रगुप्तत द्वितीय केे दरबार मैं आया था। संयुगन- इसने अपने 3 वर्षों की यात्रा में बौद्ध धर्म की प्राप्तियां एकत्रित किया। हुएनसांग- या हर्षवर्धन के शासनकाल में आया था। ...