मौर्य साम्राज्य
चंद्रगुप्त मौर्य
चंद्रगुप्त मौर्य
- मौर्य वंश का संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य था।
- घनानंद को हराने में चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य की मदद की थी जो बाद में चंद्रगुप्त का प्रधानमंत्री बना।
- चाणक्य द्वारा लिखित पुस्तक है अर्थशास्त्र जिसका संबंध राजनीति से है, चाणक्य को कौटिल्य तथा विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है।
- चंद्रगुप्त जैन धर्म का अनुयायी था।
- चंद्रगुप्त ने अपना अंतिम समय कर्नाटक के श्रवणबेलगोला नामक स्थान पर बिताया।
- चंद्रगुप्त ने सेल्यूकस निकेटर को हराया, जो कि सिकंदर का सेनापति था।
- मेगास्थनीज सलोकस निकेटर का राजदूत था जो चंद्रगुप्त के दरबार में रहता था।
- नंद वंश के विनाश करने में चंद्रगुप्त मौर्य ने कश्मीर के राजा पर्वतक से सहायता प्राप्त की थी।
बिंदुसार
- चंद्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी बिंदुसार हुआ जो 298 ईसवी पूर्व में मगध की राज गद्दी पर बैठा।
- अमित्रघात के नाम से बिंदुसार जाना जाता था जिसका अर्थ है शत्रु विनाशक।
- वायु पुराण में बिंदुसार को भद्रसार या वारिसार कहा गया है।
- बिंदुसार के शासन काल में तक्षशिला में हुए दो विद्रोहों का वर्णन है इस विद्रोह को दबाने के लिए बिंदुसार ने पहले अशोक को और बाद में सुसीम को भेजा।
- जैन ग्रंथों में बिंदुसार को सिंह सेन कहा गया है।
अशोक
- बिंदुसार का उत्तराधिकारी अशोक महान हुआ जो 269 ई० पूर्व में मगध की राजगद्दी पर बैठा ।
- राज गद्दी पर बैठने के समय अशोक अवंति का राज्यपाल था।
- अशोक ने अपने अभिषेक की आठवें वर्ष लगभग 261 ईसा पूर्व में कलिंग पर आक्रमण किया और कलिंग की राजधानी तोसली पर अधिकार कर लिया।
- भारत में शिलालेख का प्रचलन सर्वप्रथम अशोक ने किया।
- अशोक के शिलालेखों में ब्राह्मी, खरोष्ठी, ग्रीक एवं अरमाइक लिपि का प्रयोग हुआ है।
- ग्रीक एवं अरमाइक लिपि का अभिलेख अफगानिस्तान से, खरोष्ठी लिपि का अभिलेख उत्तर पश्चिम पाकिस्तान से और शेष भारत से ब्राम्ही लिपि के अभिलेख मिले हैं।
- अशोक के अभिलेखों को तीन भागों में बांटा जा सकता है- शिलालेख , स्तंभलेख तथा गुहालेख।
- अशोक के स्तंभ लेखों की संख्या 7 है जो केवल ब्राम्ही लिपि में लिखी गई है यह अच्छा अलग-अलग स्थानों से प्राप्त हुआ है।
- अशोक के समय मौर्य साम्राज्य में प्रांतों की संख्या 5 थी । प्रांतों को चक्र कहा जाता था।
- मौर्य वंश का अंतिम शासक बृहद्रथ था। इसकी हत्या इसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने 185 ईसवी पूर्व में कर दी थी और मगध पर शुंग वंश की नींव डाली।
शुंग वंश अथवा ब्राह्मण साम्राज्य
- पुष्यमित्र शुंग जिसने मगध पर शुंग वंश की नींव डाली ब्राह्मण जाति का था।
- शुंग शासकों ने अपनी राजधानी विदिशा में स्थापित की।
- इंडो यूनानी शासक मिनांडर को पुष्यमित्र शुंग ने पराजित किया।
- भरहुत स्तूप का निर्माण पुष्यमित्र शुंग ने कराया।
- शुंग वंश का अंतिम शासक देवभूमि था । इसकी हत्या 73 ई० पूर्व में वासुदेव ने कर दी और मगध की गद्दी पर कण्व वंश की स्थापना की।
कण्व वंश
- कण्व वंश के संस्थापक वासुदेव था।
- वासुदेव देवभूति का राज्य मंत्री था।
- कण्व वंश का अंतिम राजा सुशर्मा हुआ।
- सिमुक ने 60 ईसापूर्व में सुशर्मा की हत्या कर दी और सातवाहन वंश की स्थापना की।
सातवाहन वंश
- सातवाहन वंश का संस्थापक शिमुक था।
- सातवाहन वंश के शासकों ने अपनी राजधानी प्रतिष्ठान में स्थापित की, प्रतिष्ठान आंध्र प्रदेश के औरंगाबाद जिले में है।
- सातवाहन शासकों के समय में प्रसिद्ध साहित्यकार हाल एवं गुणाढ्य थे।
- हाल नें गाथा सप्तशतक तथा गुणाढ्य नें बृहत्कथा नामक पुस्तकों की रचना की।
- ब्राह्मणों को भूमि अनुदान देने की प्रथा का प्रारंभ सातवाहन शासकों ने ही सर्वप्रथम किया।
- सातवाहन शासकों ने चांदी, तांबे, शीशा, पोटीन, और कांस्य की मुद्राओं का प्रचलन किया।
- सातवाहनों की महत्वपूर्ण स्थापत्य कृतियां है- कार्ले का चैत्य, अजंता एवं एलोरा की गुफाओं का निर्माण एवं अमरावती कला का विकास।