कुषाण वंश
- पहल्व के बाद कुषाण आए, जो यूची एवं तोखरी भी कहलाते थे।
- कुषाण वंश का संस्थापक था- कुजूल कडफिसेस।
- कुषाण वंश का सबसे प्रतापी राजा था - कनिष्क ।
- कनिष्क की राजधानी थी - पुरुषपुर या पेशावर।
- कुषाणों की दूसरी राजधानी थी - मथुरा।
- कनिष्क ने 78 ई० गद्दी पर बैठने के बाद एक संवत चलाया जो शक संवत कहलाता है और भारत सरकार द्वारा प्रयोग में लाया जाता है।
- बौद्ध धर्म की चौथी बौद्ध संगीति कनिष्क के शासन काल में कुंडलवन जो कश्मीर में है, प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान वसुमित्र की अध्यक्षता में हुई थी।
- आरंभिक कुषाण शासको ने भारी संख्या में स्वर्ण मुद्राएं मुद्राएं जारी की जिन की शुद्धता गुप्त काल की स्वर्ण मुद्राओं से उत्कृष्ट है । कनिष्क का राजकवि अश्वघोष था।
- कनिष्क का राज वैद्य आयुर्वेद का विख्यात विद्वान चरक था जिसने चरक संहिता की रचना की।
- बुद्ध चरित्र, सौंदरानंद और सूत्र अलंकार अश्वघोष की प्रसिद्ध रचना है।
- बौद्ध का रामायण बुद्ध चरित्र को कहा जाता है।
- महाविभाष सूत्र के रचनाकार वसुमित्र है इसे ही बौद्ध धर्म का विश्वकोश कहा जाता है।
- अश्वघोष, वसुमित्र, पार्श्व, चरक, नागार्जुन, महाचेत और संघरक्ष, कनिष्क के दरबार की विभूति थे।
- भारत का आइंस्टीन नागार्जुन को कहा जाता है, इनकी पुस्तक माध्यमिक सूत्र है। इस पुस्तक में नागार्जुन ने सापेक्षता का सिद्धांत प्रस्तुत किया था।
- गांधार शैली एवं मथुरा शैली का विकास कनिष्क के शासन काल में हुआ था।
- कुषाण वंश का अंतिम शासक वासुदेव था।