विदेशी आक्रमण
- भारत पर प्रथम विदेशी आक्रमण ईरान के हखमनी वंश के शासकों ने किया था।
- हखमनी वंश का संस्थापक साइरस (559-529 ई-पू-) था।
- साइरस ने जैड्रोसिया के रेगिस्तानी मार्ग से होकर भारत पर आक्रमण करने का प्रयास किया जो असफल रहा।
- भारत पर आक्रमण करने में प्रथम सफलता साइरस के उत्तराधिकारी दारा प्रथम (दारायवहु) (522-486 ई-पू-) को प्राप्त हुई।
- दारा (डेरियस) ने 516 ई-पू- में पश्चिमोत्तर भारत के पंजाब, सिंधु नदी के तटवर्ती भूभाग एवं सिंध को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया।
- डेरियस का उत्तराधिकारी क्षयार्ष (जरक्सीज) ने यूनानियों के विरुद्ध संघर्ष में भारतीयों को अपनी फौज में शामिल किया।
- ईरानियों ने भारत में खरोष्ठी लिपि को लेखन में प्रचलित किया।
- पश्चिमोत्तर सीमाप्रांत से ईरानी सिक्के प्राप्त हुए हैं।
- ईरानियों ने आरमाइक लिपि का प्रचार-प्रसार किया।
- ईरानी आक्रमण के पश्चात् भारत को यूनानी आक्रमणकारी सिकन्दर का सामना करना पड़ा।
- सिकन्दर मेसीडोनिया (मकदूनिया) के क्षत्रप फिलिप द्वितीय का पुत्र था।
- सिकन्दर के गुरू का नाम अरस्तु था।
- 326 ई-पू- में सिकंदर ने अपना भारत विजय अभियान प्रारंभ किया। इस क्रम में उसने सर्वप्रथम बल्ख (बैक्ट्रिया) तत्पश्चात् काबुल पर विजय प्राप्त की और हिंदुकुश पर्वत को पार किया।
- तक्षशिला के शासक आम्भी ने सिकंदर के समक्ष बिना युद्ध किए आत्मसमर्पण कर दिया एवं उसे पूर्ण सहयोग देने का वचन दिया।
- सिकंदर ने पुष्कलावती के शासक अष्टक एवं अन्य लड़ाकू जनजातियों को पराजित किया।
- सिंधु नदी पार करने के उपरांत सिकंदर को भारत की धरती पर सबसे प्रबल प्रतिरोध पौरव के शासक पोरस का करना पड़ा।
- सिकंदर एवं पोरस के मध्य झेलम नदी के तट पर सुप्रसिद्ध ‘वितस्ता का युद्ध’ हुआ जिसे हाइडेस्पीज के युद्ध के नाम से भी जाना जाता है।
- इसके बाद सिकंदर की सेना ने व्यास नदी को पार करने से मना कर दिया।
- सिकंदर विजित भारतीय प्रदेशों को सेनापति फिलिप को सौंप कर वापस लौट गया।
- सिकंदर की मृत्यु 323 ई-पू- में बेबीलोन (इराक) पहुंचकर हुई।
- भारतीयों ने यूनानियों से ‘क्षत्रप प्रणाली’ और मुद्रा निर्माण की कला ग्रहण की।
- भारत में गंधार शैली की कला यूनानी प्रभाव का ही परिणाम है।
- सिकंदर ने पोरस के विरुद्ध सफलता प्राप्त करने के उपरांत ‘निकैया’ (विजयनगर) एवं बऊकेफला नामक दो नगरों की स्थापना की।
- सिकंदर के विजय अभियान में अंतिम विजय पटलेन (पाटल) की विजय थी।
- सेल्यूकस निकेटर सिकंदर का सेनापति था एवं नियार्कस जल सेनापति था।